श्री (Shree)

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श्री का अर्थ है लक्ष्मी और लक्ष्मी को पूंजी का पर्याय माना जाता है ।हमारे समाज में हर स्त्री को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और यह एक औरत की भावनाओं पर आधारित कविता संग्रह है जिसके निशाने पर समाज का श्री वर्ग (पुरुष वर्ग) है ।
दूसरे अर्थों में एक रचनाकार के लिए उसकी रचनाओं से बढ़कर कोई पूंजी नहीं हो सकती है इसीलिए इसे श्री कहा गया है ।
यह एक मामूली सा कविता संग्रह है । यह असाधारण उस दिन होगा जिस दिन आप इसे छुयेंगे क्योंकि एक लेखक अधूरा होता है पाठक के बिना ।
सहज बोलचाल की (आम) भाषा का प्रयोग कविताओं में किया गया है क्योंकि कविताओं का विषय आम आदमी है ।साहित्यिक भाषा सिर्फ सभ्य समाज के दायरों में सीमित हो जाती है
इसीलिए इसे भाषा के बंधनों से मुक्त कर दिया गया है ताकि सहज रूप में एक हृदय से निकलकर दूसरे हृदय में स्थान पा सकें ।

Description

इनका जन्म राजस्थान राज्य के जयपुर जिले के फुलेरा कस्बे में दिनांक 23 दिसंबर 1990 को श्री ललित कुमार शर्मा और श्रीमती अनुपमा शर्मा के यहां हुआ । चार बहिनों में सबसे छोटी होने के कारण इनके विचार हमेशा से स्वतंत्र और लीक से हटकर रहे ।
बचपन से ही अध्ययन में इनकी गहरी रुचि थी ।किताबें पढ़ते पढ़ते इनकी रूचि लेखन में जागृत हुई और अपने अंतर्मन की नकारात्मक भावनाओं को एक सकारात्मक दिशा देने का निर्णय इन्होंने लिया ।दिनांक 2 जून 2013 को इनका विवाह श्री दिनेश कुमार शर्मा के साथ संपन्न हुआ ।गर्व शर्मा और मनस्व शर्मा इनके पुत्र हैं । वर्तमान में ये अंग्रेजी विषय की अध्यापिका के रूप में कार्यरत हैं।

Book Details

ISBN: 9789390650002
Publisher: Apna Publish
Number of Pages: 374
Dimensions: 5.5″x8.5″
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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